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Sudhanshu Raghuvanshi

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Sudhanshu Raghuvanshi

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बस! इतना सा ख़्वाब है साहब

बस! इतना सा ख़्वाब है साहब

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ना चाह कोई ना अज़ाब है साहब

जो आप हमारे अहबाब हैं साहब


आप ही का तो अक्स है...

ऊपर ! जो महताब है साहब...


फिलहाल याद ना आइये आप

पहले से दिमाग खराब है साहब


जान तो मीरो-गालिब की, 

बस यही .... शराब है साहब


फ़कीर बना जो फिरता दर-दर

सच पूछो! तो नवाब है साहब


चुप दरिया ये बता रहा है...

आने वाला... सैलाब है साहब


आपसे क्या सवाल करें हम 

हम तो खुद लाजवाब हैं साहब


उपर वाला रुठ गया है....

उपर वालों का दाब है साहब


'साहब' को मिलूँ साहब बनकर

बस! इतना सा ख़्वाब है साहब


आप जो हमको मिलें एक दिन

सबसे बड़ा.... खिताब है साहब


आँख में जो दबा हुआ था ,

वही आब बना तेज़ाब है साहब


फुर्सत में पढ़ियेगा दिल को अपने

वहां... मेरी एक किताब है साहब



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