अनजान यात्री भी थोड़ी देर में जाने पहचाने लगते थे बिना भेदभाव के सब मिल बाँट कर खाते थे ... अनजान यात्री भी थोड़ी देर में जाने पहचाने लगते थे बिना भेदभाव के सब म...
रचना का शीर्षक होगा- यात्रा... चांद की चांद के साथ। रचना का शीर्षक होगा- यात्रा... चांद की चांद के साथ।
दुनिया को देखा बहुत मगर अपने को देखना पाया हूँ। दुनिया को देखा बहुत मगर अपने को देखना पाया हूँ।
कोरोना कह रही नियमों का मत करो उल्लंघन। कोरोना ने बदल दिए हैं सबों के आचरण। कोरोना कह रही नियमों का मत करो उल्लंघन। कोरोना ने बदल दिए हैं सबों के आचरण।
लेकिन सब भूल के भी जीवन बिताना पड़ता है, न चाहते हुए भी मुस्कुराना पड़ता है। लेकिन सब भूल के भी जीवन बिताना पड़ता है, न चाहते हुए भी मुस्कुराना पड़ता है।
इसलिये मेरी वरीयता में पथ हैं शिखर नहीं इसलिये मेरी वरीयता में पथ हैं शिखर नहीं