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Unnati Gupta

Others

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Unnati Gupta

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एक माफ़ करता हुआ पन्ना

एक माफ़ करता हुआ पन्ना

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हाँ माफ़ करना ही बेहतर है,

बोझ ले कर कौन उड़ सका है


सुबह मुक्त हो विचरते पँछियों को

मैने भी देखा है, तुमने भी देखा है


हाँ पीछे मुड़ देखना तभी भला है

जब इंतजार मे खड़ा 'कोई अपना सा' रहा है


कुछ भूल गई मैं, शायद कहना यही,

इंसान मुझ में था, तो इंसानियत तुम में भी देखना है .


चल छोड़ भूल गई कहना तो अच्छा ही हुआ है,

आगे बोझ लेना भी ख़ला है, भी ख़ला है


हां माफ़ करना ही बेहतर है

परों पे अब कामयाबी को ठहरना है


देखा है ना, पँछियों के पर दो ही हैं

एक पे हिम्मत, दूसरे पर रूहानियत का बसेरा है


कुछ अब भी कहना है ?

नहीं, जीव्हा पर नफरत भरा अल्फाज़

ना पहले रहा है, ना अब बचा है


हाँ चंचल था मन बड़ा, भाग गया गठबंधन से

किस पर आकर कब रुकेगा,

ये तय होगा भावनाओं के पैमाने से


कुछ रह जो गया वो बोलने से,

तो रह जाये अब कहने से


काम मे मशगूल चींटियों को खामोशी के साथ बढ़ते,

मैने भी देखा हैं, तुमने भी देखा है


कभी जो दो आँसू भी छलक रहे होंगे,

पलक से भार ही बहाया था ..


सूखे पेड़ो पर से ओस की बूंद फिसलते,

ना तुमने देखा होगा, ना मैने देखा है


ये रात्री की बेला है, लोगों की नींदों में सपनों का मेला है

अनवरत लिखने की चाह लिए, वर्षों से जागी इन आंखों को भी

अब पीछे देखना मना है, अब पीछे देखना मना है ...


जागी हुई ...जागने को जारी रखती..



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