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Semant Harish

Romance

5.0  

Semant Harish

Romance

तुम हर वक़्त मेरे साथ रहते हो

तुम हर वक़्त मेरे साथ रहते हो

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प्रिय ! प्रिय...

देखो कितना अजीब...

तुम्हारा सूरज सा दिनभर

मेरे मन को तपिश देकर,


सांझ ढले क्षितिज से

सरक ओझल हो जाना...

और उसी वक्त फिर मेरे

मानस पर चाँद बन छा जाना।


तुम्हें लगता है ...

सबको लगता है,

तुम दूर...मुझे नहीं,


बस यूं ही जैसे जैसे

रात घिरती आती है,

तुम चाँद बन छा जाते हो

मुझ पर, मेरे मानस पर।


अब जबसे तुम मेरे,

यहाँ इस और कोई

अमावस्या नहीं आती।


सब कुछ रोशन दिवस भी रात्रि भी

बस यही बताना था तुम्हें

"मैं बहुत खुश हूँ, जब से तुम मिले

यहाँ इस ओर अब कोई

अमावस्या नहीं आती। 


सब कुछ रोशन

दिवस भी रात्रि भी।

तुम हर वक्त साथ रहते हो

कभी चाँद कभी सूरज से।


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