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bhagawati vyas

Romance

5  

bhagawati vyas

Romance

अज़नबी

अज़नबी

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25



दूरी कब महसूस हुई है ,

पल पल साथ निभाया !

धड़कन में जो रचा बसा है ,

वह साथी कहलाया !!


चला अजनबी , नई राह पर ,

हाथ थाम कर आगे !

राह लगी स्वागत को आतुर ,

हम ठहरे बड़भागे !

संस्कारी अनुबंधों ने है ,

जीवन को महकाया !!

धड़कन में जो रचा बसा है ,

वह साथी कहलाया !!


आती जाती परछाई ज्यों ,

सुख दुख ऐसे ठहरे !

विश्वासों का दिया धरातल ,

जग बैठाए पहरे !

सहभागी पल पल का ठहरा ,

जिसकी गहरी छाया !!

धड़कन में जो रचा बसा है ,

वह साथी कहलाया !!


सधे हुए लक्ष्यों को मिल जुल ,

निर्णय से है साधा !

रखी सहमति विषय कोई हो ,

कटी राह की बाधा !

इक दूजे के बिना अधूरे ,

तब रिश्ता गहराया !!

धड़कन में जो रचा बसा है ,

वह साथी कहलाया !!


आकर्षण नित बढ़ता जाता ,

अतरंगी पल भाते !

क्या खोया है क्या पाया है ,

कल का गणित लगाते !

जीवन साधे से सधता है ,

मूल मंत्र अपनाया !!

धड़कन में जो रचा बसा है ,

वह साथी कहलाया !!



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