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bhagawati vyas

Abstract

4.5  

bhagawati vyas

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गूढ़ रहस्य

गूढ़ रहस्य

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पल की खबर किसे जीवन में ,

गूढ़ रहस्य इसे कहते !!


सोचा पल में यहाँ बिखरता ,

देखा सम्मुख कब ठहरा !

उपलब्धि की जोड़ लगाते ,

मन जाता है तब लहरा !

छूट गया जो हाथ न आता ,

यों दुख में रहे विचरते !!


कल की चिंता हमें सताती ,

खूब नियोजन कर डाला !

परिणामों का किया विवेचन ,

आज रहा जो मथ डाला !

संचित किसे धरोहर मानें ,

ये पल जो कहाँ ठहरते !!


बदली बदली सोच लगे है ,

सभी आज में अब जीते !

परिणामों से डरे कौन अब ,

भले मिले सब अनचीते !

साधे से सब सध जाता है ,

समय कटे हँसते हँसते !!


परिवर्तन का दौर निराला ,

यह ठहराव न आने दे !

नूतन मनभावन जो ठहरा ,

कब अतीत को छाने दे !

कठिन समय की चाल परखना ,

बस हम तुम रहे सँभलते !!


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