गूढ़ रहस्य
गूढ़ रहस्य


पल की खबर किसे जीवन में ,
गूढ़ रहस्य इसे कहते !!
सोचा पल में यहाँ बिखरता ,
देखा सम्मुख कब ठहरा !
उपलब्धि की जोड़ लगाते ,
मन जाता है तब लहरा !
छूट गया जो हाथ न आता ,
यों दुख में रहे विचरते !!
कल की चिंता हमें सताती ,
खूब नियोजन कर डाला !
परिणामों का किया विवेचन ,
आज रहा जो मथ डाला !
संचित किसे धरोहर मानें ,
ये पल जो कहाँ ठहरते !!
बदली बदली सोच लगे है ,
सभी आज में अब जीते !
परिणामों से डरे कौन अब ,
भले मिले सब अनचीते !
साधे से सब सध जाता है ,
समय कटे हँसते हँसते !!
परिवर्तन का दौर निराला ,
यह ठहराव न आने दे !
नूतन मनभावन जो ठहरा ,
कब अतीत को छाने दे !
कठिन समय की चाल परखना ,
बस हम तुम रहे सँभलते !!