धनवान
धनवान


वैभव की गोदी में पलता,
वह धनवान समझ लो !
चाँदी का चम्मच मुँह में हो,
सुविधाओं का पलना !
ख़ुशियाँ दासी बनकर बैठी,
फिर फूलों सा खिलना !
पवन छेड़ती सरगम आँगन,
बस यशगान समझ लो !!
दास दासियाँ, नौकर चाकर,
पीछे भागे आते !
सोना चाँदी बंगला मोटर,
मान बढाये जाते !
शीश झुके हैं जिसके आगे,
यह अधिमान समझ लो !!
ऊँची शिक्षा, उच्च रहन हो,
दर्प जहाँ पलता हो !
जहाँ प्रशंसा मन भाए है,
बस विरोध खलता हो !
करुणा के संग दान दिखावा,
सच अभिमान समझ लो !!
आँखों में इक चमक राजसी,
पैर धरा कब ठहरे !
जहाँ सुरक्षा का घेरा हो,
कदम कदम पर पहरे !
आसमान मुट्ठी में रखते,
नित गुणगान समझ लो !