मेरी ढीली मुट्ठी से क्यों मेरे बाजुओं को आजमाते हो, मेरे ज़ख्म की गहराई से, क्यों मेरे दर्द की इंतहा... मेरी ढीली मुट्ठी से क्यों मेरे बाजुओं को आजमाते हो, मेरे ज़ख्म की गहराई से, क्यो...
पृथ्वी वासी एक कुटुम्ब भांति चाहे अलग हो स्तर या भिन्न हो जाती पृथ्वी वासी एक कुटुम्ब भांति चाहे अलग हो स्तर या भिन्न हो जाती
कहने को तो लोग बहुत कुछ कहते है, जब आप एक नयी शुरुआत करते है कहने को तो लोग बहुत कुछ कहते है, जब आप एक नयी शुरुआत करते है
धमंड न कर, रेत के निशां सा मिट जाना ढूँढना चाहे तो भी न ढूँढ पाओगे धमंड न कर, रेत के निशां सा मिट जाना ढूँढना चाहे तो भी न ढूँढ पाओगे
रेत की तरह --अनवरत वापस नहीं आने को, लौटकर करो सदुपयोग --उसका थाम लो रेत की तरह --अनवरत वापस नहीं आने को, लौटकर करो सदुपयोग --उसका थाम लो
बुन सके सपनों की डोरियाँ मन को बाँधे रखने के लिए। बुन सके सपनों की डोरियाँ मन को बाँधे रखने के लिए।