"अनुभूति "
"अनुभूति "
ये हाथ हैं या समय का चक्र
जिसकी मुट्ठी में बंद है
वक्त.
काल या नसीब का
मानव का
जो फिसलती जा रही है
रेत की तरह --अनवरत
वापस नहीं आने को, लौटकर
करो सदुपयोग --उसका
थाम लो
और -उसे
श्वेद बूंदों से सिंचित कर
स्वर्ण सा बना लो
जो बंद है -मुट्ठी में
वक्त.. ||
