ओ! नन्हे बादल के टुकड़े
ओ! नन्हे बादल के टुकड़े
ओ! नन्हे बादल के टुकड़े,
ज़रा एक झलक दिखला जाना।
देखो गर्मी पड़ी भयानक,
आकर इसको टहला जाना।
अम्बर बना है आग की थाली,
अपने दोस्तों के साथ तुम मिलकर।
जैसा हो और जितनी जल्दी,
इसको आकर बहला जाना।
जीभ निकाली है सूरज ने,
देखो हम सब को खाने को।
फटी जा रही है यह धरती,
और हाँफ रहा है यह जग सारा।
ओ! नन्हें बादल के टुकड़े,
बस आकर हमें बचा जाना।
तेरा इस अम्बर से कुछ तो,
कुछ न कुछ याराना होगा।
आजा-आजा, आजा -आजा
आकर इसे समझा-बुझा जाना।
माना तू छोटा और नन्हा है,
पर रुक-रुक कर थोड़ा-थोड़ा।
झटपट-झटपट तू आकर,
थोड़ी हम पर छाँव लगा जाना।
ओ! नन्हें बादल के टुकड़े,
थोड़ी दयादृष्टि बरसा जाना।
तू जाने बस तू जाने,
और कोई क्या अब जाने?
तेरा काम कुछ छाया देना,
और तेरा कर्म है बरसाना।
ओ! नन्हे बादल के टुकड़े,
तुम हमारे मन को पढ़ जाना।
वृक्ष भी देखो लटक पड़े हैं,
और फूट पड़ी उनसे ज्वाला।
जीव-जन्तु भी तड़प उठे अब,
यहाँ भागा बस वहाँ भागा।
ओ! नन्हे बादल के टुकड़े,
तू करुणा तो दिखला जाना।
बचा नहीं अब शेष जरा भी,
चाहें तालाब या हो कुँआ।
मरे-मरे हाय! मरे- मरे सब,
और क्षीण हो चले हैं नैना।
ओ! नन्हे बादल के टुकड़े,
जरा आँखों को तो भर जाना।
ओ! नन्हे बादल के टुकड़े,
तू हम पर आकर रो जाना।।
