माँ
माँ
मैं भूल गया अपने ग़म को,
जब माँ ने मुझे पुकारा था।
मैं जीत गया सारी दुनिया,
मैंने जब-जब शीश नवाज़ा था।
मेरी माँ की सेवा में भले ही,
चाहें ज़िस्म लहू ही बिक जाए।
सज़दे करूँ मैं सौ-सौ बारों,
मेरा इसके बिना संसार कहाँ ?
मैं भूल गया अपने ग़म को,
जब माँ ने मुझे पुकारा था।
मैं जीत गया सारी दुनिया,
मैंने जब-जब शीश नवाज़ा था।
मेरी माँ की सेवा में भले ही,
चाहें ज़िस्म लहू ही बिक जाए।
सज़दे करूँ मैं सौ-सौ बारों,
मेरा इसके बिना संसार कहाँ ?