STORYMIRROR

SARVESH KUMAR MARUT

Children Stories Children

4  

SARVESH KUMAR MARUT

Children Stories Children

कागा

कागा

1 min
231

हे! कागा तू बड़ा बावला,

घूमे फिरे तू बड़ा उतावला।1

तुझमें गुण कम दोष बड़े हैं,

कारनामे तेरे बड़े बड़े हैं।2

बता बता मुँह खोल ज़रा,

काँव काँव कर बोल ख़रा।3

बोल बोल के कान पकाता,

काँव काँव से हमें डराता।4

कभी इधर से कभी उधर से,

छत पर दानों को बिखराता।5

कभी हाथ से रोटी लेकर ,

चोंच में दबाकर ही उड़ जाता।6

तुझे सताते ज़रा शर्म न आये,

ख़ूब छीन छीन के रोटी खाए।7

हम बच्चे तुझसे दुःखी बड़े हैं

हम दरवाज़े पर छिपे खड़े है।8

अम्मा आकर हमें बचाओ,

जल्दी आओ जल्दी आओ।9

आकर के तुम इन्हें भगाओ,

हमें बचाओ-हमें बचाओ।10

काले काले कागा आये ,

सिर पर यह मंडराते आये।11



Rate this content
Log in