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SARVESH KUMAR MARUT

Abstract Inspirational

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SARVESH KUMAR MARUT

Abstract Inspirational

चले चलो

चले चलो

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बढ़े टेढ़े घनेरे,

कभी साथ तेरे।

कभी साथ मेरे,

तम नाश होगा।


तुम बढ़ते चलो,

न समझो अकेले।

जलना तुम्हें है,

जीवन सफ़र में।


अनजान राह पर,

ख़ुद देकर के फेरे।

रुकना तुझे सिर्फ़ ,

है वहाँ जब हों सवेरे।


चले चलो- चले चलो,

तुम नेक राह को घेरे।।


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