मैं पानी हूँ
मैं पानी हूँ
मैं पानी हूँ,
एक तरल हूँ,
धरा से निकला,
नदी से घूमा हूँ,
झरनों में झूमा हूँ।
मैं पानी हूँ,
एक सफ़ेद चादर सा,
धरा पर बिछा हूँ।
धूप ले मेरी चुस्कियाँ,
बादल हो अंबर से गिरूँ।
मैं पानी हूँ,
जीवन से जिया,
जीवन पर मरा हूँ।
रूप एक है मगर,
पर बँट सा गया हूँ।
मैं पानी हूँ,
गर्भ से निकला,
कुछ मीठा हुआ हूँ।
नद से मिला हूँ,
क्षीर हो ख़ारा हुआ हूँ।
मैं पानी हूँ,
जन रुआसे से हैं,
तड़पते फ़िरते खोज में,
पाने की कोशिशें करते,
पानी ही तो प्राण है।
मैं पानी हूँ,
हृदय फटता धरा का,
धारियाँ दिखतीं रहीं।
मैं एक मरहम रहा,
गिरा जख्मों को भरा।
मैं पानी हूँ,
जीवन सब अपना,
सब देख जल में,
घूमें जीव-जन्तु।
उमंग मन में लिए।
मैं पानी हूँ,
वनस्पति की नशों में चढ़ा,
एक अद्भुत संचार कर,
हरित से भण्डार कर,
विश्व को हर्षाता हुआ।
मैं पानी हूँ,
मानव की काया में,
बस गया जान बन।
रक्त से भी ज्यादा मैं,
घूमता फिरूँ तन में।
मैं पानी हूँ,
सच कुछ ऐसा भी,
पीने का अमृत कम है।
कुछ ख़ारा कुछ मृदुल हूँ,
मृदुल को ही सब पीएँ।
मैं पानी हूँ,
पृथ्वी पर जल,
व्यर्थ क्यों बेकार कर,
मौजें मानते फिरो,
भण्डार न के बराबर।
मैं पानी हूँ,
मैं बहुत अमूल्य हूँ,
अंजान क्यों बने अभी?
सोच-समझ उपयोग कर,
न मना आज़ादी ।
मैं पानी हूँ,
मूल मेरा कुछ नहीं,
तुम समझते यही।
इसलिए व्यर्थ कर,
नाज़ करतें फिरें सभी।
मैं पानी हूँ,
फ़टते होंठों का,
मरहम एक मैं ही।
तड़पता फिरे तू अगर,
श्रान्त करता तुझे मैं ही।
मैं पानी हूँ,
सोचते भण्डार इसका,
बहुत ही ज़्यादा है।
पर यह तथ्य झूठा है,
अभिमान तू न कर।
मैं पानी हूँ,
पानी की सीमाएँ,
विश्व में तय हो गयीं।
जलसन्धि तू न पार कर,
समस्याएँ न करना खड़ी ।
मैं पानी हूँ,
होगा पुनः विश्व युद्ध,
माना यह तय है।
पानी की समस्या बड़ी,
बिन इसके मरण है।
मैं पानी हूँ,
हो सचेत मनुजों,
ग़र ख़ुशहाली चाहों।
पानी का संरक्षण कर,
जल भण्डार बढ़ा लो।
मैं पानी हूँ,
जितना ज़रूरी हो,
उतना ही प्रयोग कर।
वर्षा के नीर को,
तू गड्ढे में एकत्र कर।
मैं पानी हूँ,
पानी यदि गन्दा हो,
कहीं अन्यत्र प्रयोग कर,
धीरे-धीरे ऐसा करके तू,
जल संकट से निपट सके।
मैं पानी हूँ,
जल बिना भविष्य कहाँ?
और तू भविष्य देखता फ़िरे।
क्यों न देख भविष्य पानी का,
तब ही भविष्य तेरा बने।
मैं पानी हूँ,
पानी हूँ मैं,
तू भी तो पानी ला,
कान्ति इसकी मध्यम रही।
कहाँ तू समझे मोल मेरा,
तू साथी मेरा मैं साथी तेरा।
मैं पानी हूँ,
शायद बूँद के खेल को,
अभी तक न जाना तूने।
बूँद-बूँद बचा-बचा,
क्यों न तू धरा घड़ा भरे।
मैं पानी हूँ!