चिंता और चिंतन
चिंता और चिंतन
व्यर्थ की चिंता को तुम त्यागो
मुसकुराते घर को वापिस आओ
कल क्या होगा कल देखेंगे
जीवन चिंता मुक्त बिताओ
आने वाले कल की चिंता
बीते हुए कल का अफसोस
चैन चुराते हैं जीवन का
चिंता जीवन का है इक दोष
चिंता ऐसा मय का प्याला
पीये जो फिरता है मदहोश
ये वो मीठा ज़हर है जिससे
जीवन घटता है हर रोज़
हंसना सीखो और सिखाओ
हंसकर सबका साथ निभाओ
कल क्या होगा कल देखेंगे
जीवन चिंता मुक्त बिताओ
चिंतन में बीतें जीवन के पल
चाहे साँझ चाहे सवेरा हो
फिक्र करो उतनी ही जिससे
ना अंतर मन अंधेरा हो
स्वस्थ निरोगी काया को जैसे
गिध्दों ने आ कर घेरा हो
चिंता युक्त मानव तन ऐसा
जैसे कई रोगों का डेरा हो
चिंता कर कर अमोलक देह को
यूँ हीं न तुम व्यर्थ गंवाओ
कल क्या होगा कल देखेंगे
जीवन चिंता मुक्त बिताओ
चिंता और चिता में केवल
एक बिंदु का ही तो है अंतर
चिंता करकर कर लेता तू
अपने जीवन संग षड्यंत्र
चिंता में ना करो समय बर्बाद
चिंतन करो और रहो आबाद
आज जो पल मिला है तुमको
उसकी उस पल खुशी मनाओ
ना निराश हो न हताश हो
निरन्तर पथ पर बढ़ते जाओ
कल क्या होगा कल देखेंगे
जीवन चिंता मुक्त बिताओ
व्यर्थ की चिंता को तुम त्यागो
मुसकुराते घर को वापिस आओ
कल क्या होगा कल देखेंगे
जीवन चिंता मुक्त बिताओ।।
