Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Suresh Koundal 'Shreyas'

Tragedy

4  

Suresh Koundal 'Shreyas'

Tragedy

हिमाचल पुकार रहा

हिमाचल पुकार रहा

1 min
323


विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जल प्रलय से जूझता 

ये हिमाचल पुकार रहा

तिनका तिनका टूट टूट

यूं गर्त में समा रहा

आपदा से घिरा आज

हिमाचल पुकार रहा


दरकते पहाड़ देखो

नदियों में उफान है

बारिशें भयानक यूँ

गरजता आसमान है 

पर्वतों के लोगों पर ये

विपदा कैसी आ गई

प्रकृति की चोट से ये

आम जन सकपका रहा

विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जल प्रलय से जूझता 

हिमाचल पुकार रहा


ईश्वरीय प्रकोप है ये

आशयाने यूं बिखर गए

इन मौत की हवाओं में 

कई दीप कुलों के बुझ गए

कुछ ज़लज़ले में बह गए

कुछ मलबे में बदल गए

हर जगह पसरा मातम

हर शख्स कहरा रहा 

विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जलप्रलय से जूझता 

हिमाचल पुकार रहा


अनन्त अलौकिक यह धरा

फिर आई इस पर क्या बदा

इस दिव्यता की आसक्ति को

यह मिल रही है क्यों सज़ा

यह कैसा अभिशाप है 

'श्रेयस' संताप है विलाप है 

प्रकृति के प्रकोप से

ज़र्रा ज़र्रा थरथरा रहा

विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जलप्रलय से जूझता 

हिमाचल पुकार रहा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy