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Suresh Koundal 'Shreyas'

Tragedy

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Suresh Koundal 'Shreyas'

Tragedy

हिमाचल पुकार रहा

हिमाचल पुकार रहा

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विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जल प्रलय से जूझता 

ये हिमाचल पुकार रहा

तिनका तिनका टूट टूट

यूं गर्त में समा रहा

आपदा से घिरा आज

हिमाचल पुकार रहा


दरकते पहाड़ देखो

नदियों में उफान है

बारिशें भयानक यूँ

गरजता आसमान है 

पर्वतों के लोगों पर ये

विपदा कैसी आ गई

प्रकृति की चोट से ये

आम जन सकपका रहा

विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जल प्रलय से जूझता 

हिमाचल पुकार रहा


ईश्वरीय प्रकोप है ये

आशयाने यूं बिखर गए

इन मौत की हवाओं में 

कई दीप कुलों के बुझ गए

कुछ ज़लज़ले में बह गए

कुछ मलबे में बदल गए

हर जगह पसरा मातम

हर शख्स कहरा रहा 

विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जलप्रलय से जूझता 

हिमाचल पुकार रहा


अनन्त अलौकिक यह धरा

फिर आई इस पर क्या बदा

इस दिव्यता की आसक्ति को

यह मिल रही है क्यों सज़ा

यह कैसा अभिशाप है 

'श्रेयस' संताप है विलाप है 

प्रकृति के प्रकोप से

ज़र्रा ज़र्रा थरथरा रहा

विनाश ही विनाश देखो

हर ओर पांव पसार रहा

जलप्रलय से जूझता 

हिमाचल पुकार रहा।


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