बता.. तू क्या है ?
बता.. तू क्या है ?
तेरी मदहोश मदमस्त, ये झील सी आंखें
जिनमें बेशक गहराई छुपी बेपनाह है।
इशारों में करती बयां हाल ए दिल ये
तू नज़ाकत, मुहब्बत , हया है या क्या है ?
दीदार तेरे रूख़ का है जन्नत का सबब
नूर ऐसा कि खुद्द चांद भी शरमा गया है।
ऐसी ठंडक कि रूह को आ जाये सकून
तू बारिश या झरना, घटा है या क्या है?
तेरा नाम कानों में, गूँजे तरानों के जैसे
कि हर लफ्ज़ दिल में कुछ यूं छा गया है।
हर मर्ज काफ़ूर हो जाये इसे सुन कर
तू दुआ है,तसल्ली, दवा है या क्या है?
तलब ऐसी है तेरी ,हुआ जीना बड़ा मुश्किल
ये दिलकश सी बेहद ज़रूरी सज़ा है।
तेरी साँसों की खशबू है दिल में समाई
ये अदा है जफ़ा है, वफ़ा है, या क्या है ?
तेरी शोखियों ने मुझ पर सितम ऐसा ढाया
कि ये दिल अब बस तेरा हो गया है।
मेरी धड़कनों पर चलता है अब राज तेरा
तू हमदम है हमदर्द, खुदा है या क्या है ?