जहाँ नदियाँ भी माँ पर्वत भी पिता ऐसी अपनी भक्ति, ऐसी अपनी श्रद्धा। जहाँ नदियाँ भी माँ पर्वत भी पिता ऐसी अपनी भक्ति, ऐसी अपनी श्रद्धा।
उफन जाती हैं जो बारिशों में अक्सर उन नदियों के पानी में हम डूबते हैं उफन जाती हैं जो बारिशों में अक्सर उन नदियों के पानी में हम डूबते हैं
ठंडी हवाओ के लहराते झोंके नदिया के पानी में तन मन को धोके होठो पे खिली है एक नयी मुस्कान मै तो छ... ठंडी हवाओ के लहराते झोंके नदिया के पानी में तन मन को धोके होठो पे खिली है एक ...
स्वछन्द जीवन मेरा बहती धारा सा स्वछन्द जीवन मेरा बहती धारा सा
कितना सताया कितना रुलाया और सावन तू अब आया। कितना सताया कितना रुलाया और सावन तू अब आया।
देश की खातिर मर मिटने को, हर मुश्किल सहते वह आखिर। देश की खातिर मर मिटने को, हर मुश्किल सहते वह आखिर।