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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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रात्रि

रात्रि

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हमारे आपके जीवन का 

एक अहम हिस्सा है रात्रि,

जिसके बिना जीवन अधूरा सा लगता है

रात्रि न हो तो इंसान

सूकून की सांस लेना भूल जाये,

विश्राम की बात उसके भेजें में भी न आये


थोड़ा और थोड़ा और करते करते करते

वह मशीन बन जाते

तन ही नहीं मन से भी तक जाते,

अपने लिए तो क्या परिवार समाज के लिए भी

वक्त न निकाल पाये।

उसकी कार्यक्षमता प्रभावित हो जाते


तन मन में स्फूर्ति तनिक न आ पाते

बेवजह मरीज बन जाये।

आराम की बात कही सोचे ही नहीं

काम कभी पूरा लगे ही नहीं

लोभ वाले से न बच पाए

मशीन से मुकाबला करने लग जाते

असमय काल का ग्रास बन जाए


यदि हमारे जीवन में

रात्रि के बाद दिन के क्रम

यदि न आते जाते। 


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