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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

Abstract

हम लिखेंगे

हम लिखेंगे

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मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे ।

हम अपने इस कालखण्ड का एक नया इतिहास लिखेंगे ।


सदियों से जो रहे उपेक्षित श्रीमन्तों के हरम सजाकर,

उन दलितों की करुण कहानी मुद्रा से रैदास लिखेंगे ।


प्रेमचन्द की रचनाओं को एक सिरे से खारिज़ करके,

ये 'ओशो' के अनुयायी हैं, कामसूत्र पर भाष लिखेंगे ।


एक अलग ही छवि बनती है परम्परा भंजक होने से,

तुलसी इनके लिए विधर्मी, देरिदा को ख़ास लिखेंगे ।


इनके कुत्सित सम्बन्धों से पाठक का क्या लेना-देना,

लेकिन ये तो अड़े हैं ज़िद पे अपना भोग-विलास लिखेंगे ।



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