आज पत्थर हूँमगरन रहूँगा देर तक आज पत्थर हूँमगरन रहूँगा देर तक
क्यों नही देता अग्नि परीक्षा पुरुष नारी के सम्मान के लिए ! क्यों नही देता अग्नि परीक्षा पुरुष नारी के सम्मान के लिए !
और यकीनन यहाँ कुछ नया सम्भव है। और यकीनन यहाँ कुछ नया सम्भव है।
मुझे तोड़नी है वह सारी बेड़ियाँ जो बाँध देती है मेरे इन्सानी अस्तित्व को औरत और परंपरा के नाम पर... मुझे तोड़नी है वह सारी बेड़ियाँ जो बाँध देती है मेरे इन्सानी अस्तित्व को औरत...
इस तरह हम शायद ही निकल पाए भ्रांतियों के जाल से ! इस तरह हम शायद ही निकल पाए भ्रांतियों के जाल से !
स्व-संस्कृति पर नहीं तनिक भी गर्व इसे, प्रकृति से जुड़े हुए आज विस्मृत पर्व इसे। स्व-संस्कृति पर नहीं तनिक भी गर्व इसे, प्रकृति से जुड़े हुए आज विस्मृत प...