आधुनिकता
आधुनिकता
आधुनिकता की होड़ में
मानव परम्पराएँ भूल रहा।
पूर्णता से न अपनाकर
त्रिशंकु बन झूल रहा ।
स्व-संस्कृति पर नहीं
तनिक भी गर्व इसे,
प्रकृति से जुड़े हुए
आज विस्मृत पर्व इसे।
पुरातन परम्पराओं से दूर
आधुनिकता में हो रहा चूर।
दोहन के कारण प्रकृति भी क्रूर
होकर, खो रही अपना नूर ।
जिस शिक्षा से होता ज्ञान,
उसका व्यवसाय हो रहा।
विज्ञान की ओट में जहान,
विनाश की ओर बढ़ रहा।