चित्रकार
चित्रकार
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कोरे कागज़ पर
आड़ी-तिरछी रेखाओं में
रंग भरता चित्रकार,
अपनी सृजन क्षमता से
चित्रों को सजीव कर
अपने हृदय के
नव संसार को चित्रित कर
हमारे समक्ष रख देता है।
उन चित्रों के माध्यम से
अपनी भावनाओं व कल्पनाओं को
विविध रंगों से
जीवन के सुखों और आनन्दों
के प्रति इंगित करता है।
हमें बताता है कि जिस तरह
कोरे कागज़ में रंगों को भर,
रंगहीन चित्रों को मैं नवस्वरूप
प्रदान कर जीवन्तता देता हूँ।
उसी प्रकार प्रत्येक मनुष्य
अपने नीरस जीवन में
प्रेम व भक्ति के रंगों को भर
उसे आत्मस्वरूप परमानंद की
प्राप्ति कर सकता है।
अतः चित्रकार बने !
अपने और अपनों के जीवन में
परम आनंद के रंग भरें।