विविध भारत भाग 3 वीराधरा राजस्
विविध भारत भाग 3 वीराधरा राजस्
मरुधरा
वीर सपूतों की यह जननी है
तेज पुंज बेटियाँ यहां जन्मी है
गाथा एक से बढ़कर एक है
मातृ प्रेम की प्रतिमूर्ति अनेक है ।
यहां की विरांगना का कोई सानी नहीं
वक्त आने पर बन कटार गरजी है
जब जब विपदा आई है मातृभूमि पर
तब तब बन शूल अरि पर बरसी है।।
वीरता की क्या कहानी सुनाऊं
क्या थे प्रताप ! कैसे बताऊं
वो तो प्रजा की अनन्त आशा थे
वीरता की स्वयं ही परिभाषा थे।।
एक यहां पृथ्वी चौहान थे
शब्द भेदी शर में महान थे
नाश शत्रु का किया तब भी
जब चक्षु उनके लहूलुहान थे
हर योद्धा की अलग निशानी थी
वीरांगनाओ के लहू में रवानी थी
शमसीर की तेज चमकती धार थी
रणभूमि में झपटती वो कटार थी
वीरता -प्रेम-भक्ति का संगम था
यहां मीरां का प्रेम अनुपम था।
विष का प्याला अमृत सा पी गई
विरक्त हो श्याम में समा गई।
जननी का प्रेम बहुधा सुना था
यहाँ धाय माँ का प्रेम अनोखा था
त्याग की मूरत ऐसी देखी नही
स्वामिभक्ति निभाने का मौका था
नही हटी पीछे वो धाय पन्ना
कर गई अमर त्याग का पन्ना
स्वर्ण अक्षर में है आज वो पन्ना
ऐसे बलिदान का नही दूजा पन्ना
यह शौर्य यह त्याग यह भक्ति
यहां का यह अमर इतिहास है
यहां हर रूप है नर-नारी का
तभी मरुधरा की धरा खास है।।
यह मिट्टी की सौंधी महक
तरुमाल पर पंछियों की चहक
वो हाड़ी रानी का प्यार अपार
वो पद्मा का अनुपम श्रृंगार ।।
तब से अब तक यह अनुपम है
यह मरुधरा है यह मधुबन है
अखंड हिंद का अभिन्न अंग है।
हर दिल में बसती यहां उमंग है।।
चंदबरदाई का रासो है
यह मिश्रण की सतसई है
प्रताप सरीखे सपूत जन्मे
यह धरा पराक्रमी वही है ।
सूरी का महाकाव्य है
मूहऩोत की नेणसी है
सेठीया की पातल पीथल
हर दिल में रची बसी है
यह कमल कोठारी है
यह बशीर अहमद है
मनोहर का है आग का गोला
यहां वीरों का है बोलबाला।
यह प्रदेश भैरों शेखावत का है
देवेंद्र है राज्यवर्धन राठौर का है
कृष्णा अपूर्वी सुरभि मिश्रा है
मिताली परमजीत कौर का है।
आमेर की है यहां अमर कहानी
चित्तौड़गढ़ हर लब की जुबानी
जूनागढ़ किला सोनार है यहां
मेहरानगढ़ रणथंबोर है यहां
कुंभलगढ़ का इतिहास है यहां
अजमेर सबसे खास है यहां।
भरतपुर पंछीयों का सुकून है
हल्दीघाटी में बहता अमर खून है
शूरवीर लोटा जाट है यहां
हर तरफ ठाठ बाट है यहां ।
यह जोधा का स्वाभिमान है
करतार का अमर अभिमान है
टंट्या भील की वीरता है
सागर गोपा की धीरता है ।
गायत्री की पावन पूजा है
मरुधरा सा ना कोई दूजा है ।
यहां दाल बाटी चूरमा है
कण कण में बसे सुरमा है
रोहिडा के फूल बरसे है
धौरां पर हर मन हरषे है
यहां चंबल है यहां लुणी है
यहां माही है यहां बनास है
यहां गुरु शिखर सा शिखर है
माही बजाज की धार प्रखर है ।
यहां रणथंबोर के गणेश है
देशनोक की माता करणी
रानी सती है झुंझुनू वाली
सीकर में मां भंवरा वाली ।
अरावली यहां जीवन आधार है
वहीं मरुधरा का सुखद सार है ।
यहां खनिज अनेकों उपजे हैं
चांदी सा संगमरमर निपजे है।
सैकड़ों अमर इतिहास है
सबसे धनी रेगिस्तान है
यही मेरा स्वाभिमान है
हम सबका राजस्थान है।।