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विनोद महर्षि'अप्रिय'

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विनोद महर्षि'अप्रिय'

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विविध भारत भाग 5 मौसम सावन का

विविध भारत भाग 5 मौसम सावन का

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आया मास सावन का जोरों से झूम कर

मरुधरा में गीत गूंजे गाए सब हरख कर


कृषक चले खेत में लेकर हल को साथ

जगी आस धान की खेतों में कटे रात


धोरे टीलों पर बैठे खेतां बीजे बीज गंवार

अड़खा बीजे मोठ और मतीरा मिश्रीदार


गाजी काली बादली तो मरुधरां बोले मोर

मन तो खूब हर्षयो अब देख घटा घनघोर


छम छम बरसी बादली तो नाचे झूम के मोर

उगे धान चंहु ओर तो खिली कोख पुर जोर


भरे ताल तालाब अब बुझी चौपाया प्यास

आया सावन इस तरह मरुधर" पूरी आस



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