नए साल का संकल्प
नए साल का संकल्प
गर मना रहे हो आप यह नया साल
करो काम ऐसा की बन जाए मिसाल
कदम बढ़ाओ ऐसे की हो जाए कमाल
हल करो अब जो मेरे हैं कुछ सवाल।।
कम होती प्रकृति की छांव लौटा दो
कटते पेड़ों को रोको कुछ नए उगा दो
कलरव पंछियों का मधुर रस घोल दो
फिर से इस प्रकृति को हरा भरा कर दो।।
बाहर जाती बेटी को हर कोई कोसे
जरा कोई तो अपने बेटे को भी रोके
बन्द हो काली करतूत पर राजनीति
कोई तो इस इस नेताओं को भी टोके।।
जन्म लिया तो इंसान थे फिर क्यों हैवान बने
संस्कारों की धरा पर आकर क्यों शैतान बने
जगा चेतना को की किसलिए तेरा जन्म हुआ
सच को देख और सोच की क्यों ना इ
ंसान बने।।
पावन धरा को क्यों कंकरीट का जंगल बना दिया
नित नए कथनों से तूने विवादों का दंगल बना दिया
क्या परिभाषा थी तेरी यहां कभी सोचकर देख जरा
मंगल कार्य को काली करतूत से अमंगल बना दिया।।
कितने नीच कर्म किए तूने, क्या क्या मैं गिनाऊं तुझे
गिर गया खुद को बनाने में तू और कैसे बतलाऊं तुझे
सम्भल अभी भी वक्त है, खुद को ले पहचान अब तू
क्या तुझे बनना है यहां, कैसे मैं समझाऊं अब तुझे।।
ले अब संकल्प तू, धरा पर आया तो कुछ कर
जीवन की गाड़ी में चल आनंद का सफर कर
ना कुछ पाएगा गर कर्तव्य भूल यहां भूल गया
मानव रूप में जन्मा फ़र्ज़ निभा मानव बनकर।।