विविध रंगों का एक भारत भाग 2 व
विविध रंगों का एक भारत भाग 2 व
तू शूरवीर है इसका प्रचंड, शौर्य सा
है आन बान शान तू, एक गौरव सा
रण का योद्धा है, अरि पर शूल सा
बन जा अब तू, शिवा की त्रिशूल सा।
तू गौरवमयी गाथा है, लहरों का गान है
भाल है हिमालय सा, हिन्द का मान है
तू समुंदर सा अथाह है, जहान ने माना
चल बांध शीश पर, केसरिया यह बाना।
किसी से ना रुके तू, कभी भी ना झुके
चलता रहे प्रखर पथ पर तू सम्मान से
अखण्ड हिन्द का तू दर्प है कभी ना टूटे
अस्मित इसकी बचाने, ना डरे हैवान से।
बनो तुम अब तीखी धार उस तलवार की
शीश धड़ से जुदा हो, जरूरत एक वार की
थरथर कांपे तेरे नाम से, चहूँ दिशि के अरि
दिखे वो आभा तुझ में लपकती कटार की।
है अखण्ड हिन्द यह सदैव अखण्ड ही होगा
तू कर प्रतिज्ञा तुझे शत्रु पर वार करना होगा
भान है तुझे प्रचंड रणचंडी का सोचना होगा
तांडव मचा दे शिव सा काँपेगा जो शत्रु होगा।
भर दे जोश खुद में अब तू खून में उबाल ला
तू युवा है उतर अब इस मैदान में तूफान ला
क्षत-विक्षत कर उसको जो करता अपमान हो
जय जय जय, चारों तरफ जय हिंदुस्तान हो।