यादें
यादें
क्यों तू मुझे इस तरह तन्हा कर जाती है
ख्वाब टूटते ही बस तेरी यादें ही रह जाती है
ना सह सकता तेरे मेरे बीच जो यह दूरी है
एक तू ही अच्छी है यह दुनिया बहुत बुरी है।
हरपल मेरे मष्तिष्क में बस तू ही रहती है
तेरे बिना यह दुनिया मुझे वीरान लगती है
कहाँ है किस डगर तुझे अब तलास करूं
मेरे ख्यालों में हरवक्त बस तू ही रहती है।
हर आहट मुझे तेरी ही याद दिलाती है
हृदय में कुछ इस तरह तू बस गई है
एक फासला जो तेरे मेरे दरमियान है
कर दिल मे चोट अब तू कहाँ खो गई है।
खो गया हूँ मैं अब तेरी झील सी आंखों में
नजर का क्या कसूर है तू एक है लाखों में
यादों का यह गहरा घाव नासूर ना बन जाये
बस जा आकर सांसो मे यह डोरी टूट ना जाये।
स्वांस अटकी है करने को तेरा दीदार अब
टूटती इस डोरी को आकर थामेगी तू कब
समा जा मुझमे कुछ यूं तू ज्यो जल गागर में
कर मिलन इस तरह ज्यों मिलती नदी सागर में।