कृषक चले खेत में लेकर हल को साथ जगी आस धान की खेतों में कटे रात कृषक चले खेत में लेकर हल को साथ जगी आस धान की खेतों में कटे रात
कुछ नहीं कर पाया मैं। अब देख ना, अपने लाल को, लोग अमर बनाने में लगे हैं। कुछ नहीं कर पाया मैं। अब देख ना, अपने लाल को, लोग अमर बनाने में लगे हैं।