लक्ष्य
लक्ष्य
लक्ष्य कैसा भी हो
निडर होकर बढ़
कुछ हार कुछ जीत का
समावेश है लक्ष्य
रो कर नही हँस कर
आगे बढ़
आज की घड़ी मुश्किल है थोड़ी
नजर धुंधली
नकारात्मक क्षण होगा
भयभीत होगा हदय तेरा
मंजिल कोसों दूर दिखेगी
बस थाम ले हाथ आत्मविश्वास का
तोड़कर कपाट अंधकार का
जला ले लौ संघर्ष की
आसमां भी झुकेगा
पथ में तुम्हारे
ईश तो भीतर ही है तेरे।
