हिन्दी मेरी दुनियाँ
हिन्दी मेरी दुनियाँ
तुम सर्वनाम बन कर आना
मैं संज्ञा बन कर रह लूंगा।
मध्य विशेषण सा भेद ना हो
बने पर्यायवाची एक दूजे के।
तुम सर्वनाम बन कर आना
मैं संज्ञा बन कर रह लूंगा।
लोकोत्तियों पर ध्यान न देना
न बने मुहावरे दुनियााँ के
बस सज-धज तुम चली आना
हिन्दी की बिन्दी लगा लेना।
तुम सर्वनाम बन कर आना
मैं संज्ञा बन कर रह लूंगा।
थोङी सहज,सरल सौम्य सी
तुम ओढ़ चुनर प्रत्ययों की
चन्द्रबिन्दु सी एक झलक
तुम मुझको दिखा देना।
थोड़ा अलंकार तुम धारण कर
डुबकी रसों की लगा लेना
तुम प्यारी सी हिन्दी मेरी
सर्वनाम बन आ जाना।
कर्ता-कारक मत लाना तुम
कालों को अपना लूंगा
संग तुम्हारे एक छोटी सी
बगियाँ मैं बना लूंगा।
तुम सर्वनाम बन कर आना
मैं संज्ञा बन कर रह लूंगा।