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इस बार दशहरा में अपनी बुराइयों का रावण जलाते है। इस बार दशहरा में अपनी बुराइयों का रावण जलाते है।
ज्ञान का दीपक लिए वो राह का प्रकाश है। ज्ञान का दीपक लिए वो राह का प्रकाश है।
तुम सर्वनाम बन कर आना मैं संज्ञा बन कर रह लूंगा। तुम सर्वनाम बन कर आना मैं संज्ञा बन कर रह लूंगा।
आओ सृजन करें साहित्य का, हिन्दी का हम मान करें। आओ सृजन करें साहित्य का, हिन्दी का हम मान करें।
आओ गणतंत्र दिवस मनाएंगे स्वर्णिम भारत का मान बढ़ाएंगे। आओ गणतंत्र दिवस मनाएंगे स्वर्णिम भारत का मान बढ़ाएंगे।
नववर्ष हो मंगलकारी हर प्रांगण गूंजे भाव मनोहारी। नववर्ष हो मंगलकारी हर प्रांगण गूंजे भाव मनोहारी।
मेरे भीतर का रूप स्वयं मैं भी भूल रही हूँ मेरे भीतर का रूप स्वयं मैं भी भूल रही हूँ
सरल सहज सी हिन्दी भाषाओं की रानी है। सरल सहज सी हिन्दी भाषाओं की रानी है।
ज्ञान का तुम रूप हो शक्ति का तुम स्वरूप हो। ज्ञान का तुम रूप हो शक्ति का तुम स्वरूप हो।
आसमां भी झुकेगा पथ में तुम्हारे ईश तो भीतर ही है तेरे। आसमां भी झुकेगा पथ में तुम्हारे ईश तो भीतर ही है तेरे।