STORYMIRROR

usha yadav

Inspirational

4  

usha yadav

Inspirational

बनती बिगड़ती सी ये जिंदगी

बनती बिगड़ती सी ये जिंदगी

1 min
214


बनती बिगड़ती रोज ये जिंदगी 

कभी खड़ी है परेशानियों का दामन थामें

 तो कभी बोझिल सी लगे ये रोज हमें


 कभी पल में खुशियों से भर दे ये झोली हमारी 

तो कभी मोहताज है टुकड़ों के लिए

 

रोज एक नए पन्ने को जोड़ती है जिंदगी 

तो कहीं रोज जर्जर पन्ने की तरह फ़ुर्र 

से उड़ जाती है जिंदगी

 

कहते हैं एक भरी हुई किताब है जिंदगी 

जो छुपा कर रखती है कई राज अपने में

हर रोज पढ़ते हैं हम उसका पन्ना पन्ना 

तब कहीं रख पाते हैं उसका हिसाब जिंदगी में 


बोझिल ना समझो इस जिंदगी के सफर को

 क्योंकि क्या लाए थे और क्या लेकर जाएंगे 

इस जिंदगी से

 

आओ ! फिर खुल कर जिएँ इस जिंदगी के सफर को

क्योंकि फिर ना आने वाली यह रात सुहानी


 छोटी-छोटी खुशियों को उम्मीदें बढ़ी हैं 

गमों को छोड़कर खुशियों को बांटती 

ये जिंदगी ही है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational