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usha yadav

Inspirational

4  

usha yadav

Inspirational

बनती बिगड़ती सी ये जिंदगी

बनती बिगड़ती सी ये जिंदगी

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बनती बिगड़ती रोज ये जिंदगी 

कभी खड़ी है परेशानियों का दामन थामें

 तो कभी बोझिल सी लगे ये रोज हमें


 कभी पल में खुशियों से भर दे ये झोली हमारी 

तो कभी मोहताज है टुकड़ों के लिए

 

रोज एक नए पन्ने को जोड़ती है जिंदगी 

तो कहीं रोज जर्जर पन्ने की तरह फ़ुर्र 

से उड़ जाती है जिंदगी

 

कहते हैं एक भरी हुई किताब है जिंदगी 

जो छुपा कर रखती है कई राज अपने में

हर रोज पढ़ते हैं हम उसका पन्ना पन्ना 

तब कहीं रख पाते हैं उसका हिसाब जिंदगी में 


बोझिल ना समझो इस जिंदगी के सफर को

 क्योंकि क्या लाए थे और क्या लेकर जाएंगे 

इस जिंदगी से

 

आओ ! फिर खुल कर जिएँ इस जिंदगी के सफर को

क्योंकि फिर ना आने वाली यह रात सुहानी


 छोटी-छोटी खुशियों को उम्मीदें बढ़ी हैं 

गमों को छोड़कर खुशियों को बांटती 

ये जिंदगी ही है।


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