पठन पाठन में रुचि है।
देखा एकदिन डूबते चांद को छिटक रही थी चांदनी जैसे ! देखा एकदिन डूबते चांद को छिटक रही थी चांदनी जैसे !
आज मन में फिर वही खामोशी है यह खामोशी है, या मेरे मन का अंतर्द्वंद। आज मन में फिर वही खामोशी है यह खामोशी है, या मेरे मन का अंतर्द्वंद।
मोती समान माला में गुथता है…. मोती समान माला में गुथता है….
भावनाएं भी होती हैं कल्पनाएं भी इसमें समाहित होती हैं। भावनाएं भी होती हैं कल्पनाएं भी इसमें समाहित होती हैं।
आजकल बेचैन सी रहती हूं ना ही रोती हूं और ना ही चिल्लाती हूं । आजकल बेचैन सी रहती हूं ना ही रोती हूं और ना ही चिल्लाती हूं ।
तो कभी वृक्षों की टहनियों में कलरव करते पक्षियों की चहचहाती हुई अजनबी सी तो कभी वृक्षों की टहनियों में कलरव करते पक्षियों की चहचहाती हुई अजनबी स...
गमों को छोड़कर खुशियों को बांटती ये जिंदगी ही है। गमों को छोड़कर खुशियों को बांटती ये जिंदगी ही है।
रोज ही टुटती हूं फिर रोज ही अपने को बनाती हूँ. रोज ही टुटती हूं फिर रोज ही अपने को बनाती हूँ.
सुर्खियों में दिख रहा हो दूर से पास आता हुआ तुम्हारा प्रतिबिंब। सुर्खियों में दिख रहा हो दूर से पास आता हुआ तुम्हारा प्रतिबिंब।
जो ओस की बूंद की भांति ही भिगो जाते हो रोज इन पलकों को ! जो ओस की बूंद की भांति ही भिगो जाते हो रोज इन पलकों को !