STORYMIRROR

usha yadav

Others

3  

usha yadav

Others

खामोशी

खामोशी

1 min
175


आज मन में फिर वही खामोशी है

यह खामोशी है, या मेरे मन

का अंतर्द्वंद


जब यह खामोशी बातें करना

चाहती है, तो जैसे शब्द ही

बिखर जाते हैं


खो जाते हैं जैसे शब्द मन के

इधर-उधर उन कोनों में


परंतु बोलना चाहती है ये खामोशी

मधुर स्वप्न के उन स्वरों को

जो निरुपाय होकर

कहीं बिखर चुके हैं।



Rate this content
Log in