कविता
कविता
1 min
347
विचारभावों की जद्दोजहद के
उधेड़बुन कर शब्दों को वाक्यों
में पिरोना
भावनाएं भी होती हैं
कल्पनाएं भी इसमें समाहित होती हैं
पर उकेरने को रंग ही नहीं मिलते
यूँ आसान नहीं होता
सुर्ख कोरे कागज पर
सजल स्वप्नमयी सपनों
को सजाना।
