STORYMIRROR

usha yadav

Others

4  

usha yadav

Others

कविता

कविता

1 min
347

विचारभावों की जद्दोजहद के 

उधेड़बुन कर शब्दों को वाक्यों 

में पिरोना 


भावनाएं भी होती हैं 

 कल्पनाएं भी इसमें समाहित होती हैं

 पर उकेरने को रंग ही नहीं मिलते 


यूँ आसान नहीं होता 

सुर्ख कोरे कागज पर 

सजल स्वप्नमयी सपनों 

को सजाना।


Rate this content
Log in