Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

usha yadav

Others

4  

usha yadav

Others

बेचैन सी

बेचैन सी

1 min
292


आजकल बेचैन सी रहती हूं 

ना ही रोती हूं और ना ही चिल्लाती हूं 

क्योंकि अब मैं टूटना नहीं 

खुद में पिघलना चाहती हूं 


कभी मिल ओ जिंदगी तू मुझे 

तो तुझे बताना चाहती हूं 

क्या क्या छिना है तू ने 

उसका हिसाब लेना चाहती हूं

 

कैसे तूने मुझे तोड़ा है 

एक के बाद एक करके 

बस! अब मैं टूटना नहीं 

खुद में सिमटना चाहती हूं 


क्योंकि आजकल बहुत

बेचैन सी रहती हूं।


Rate this content
Log in