मैंने भी मन के बिखरे शब्दों को समेट कर लेखनी को कहा तू ही बंया इन्हें अब कर। मैंने भी मन के बिखरे शब्दों को समेट कर लेखनी को कहा तू ही बंया इन्हें अब कर।
तरसते है लोग हाथ की सुंदर लिखावट को देखने के लिए , तरसते है लोग हाथ की सुंदर लिखावट को देखने के लिए ,
मुझे दुनिया सोचते थे तुम्हारे लिए एक दुनिया बना दी। मुझे दुनिया सोचते थे तुम्हारे लिए एक दुनिया बना दी।
भावनाएं भी होती हैं कल्पनाएं भी इसमें समाहित होती हैं। भावनाएं भी होती हैं कल्पनाएं भी इसमें समाहित होती हैं।
एै कलम,न हो परेशान,मै भी तुझ जैसी हूँ तुझ जैसे ही डरकर मै हर रंग में रंग जाती हूँ। एै कलम,न हो परेशान,मै भी तुझ जैसी हूँ तुझ जैसे ही डरकर मै हर रंग में रंग जाती...
लिखना ताे चाहा खुशियाें पर लेकिन वह उम्मीद भी पूरी हाे ना सकी... लेकिन क्यों... लिखना ताे चाहा खुशियाें पर लेकिन वह उम्मीद भी पूरी हाे ना सकी... लेकिन क्यों...