STORYMIRROR

Jyotshna Rani Sahoo

Romance Tragedy Classics

4  

Jyotshna Rani Sahoo

Romance Tragedy Classics

मुझे माफ़ करना

मुझे माफ़ करना

1 min
367

कुछ बे अदबी एहसास को

चिंगारी मिली थी

दिन ढल रात हुई

आसमान में कोई हात फैलाए

या कहूं चांद से सिफ़ारिश हुई

जब मेरे मन में शाम हुई।


चलो अब कुछ घुमाना नहीं

गोल मोल भाव नहीं

मुझे सीधी बात रखना था

पर कमबख्त यह दिल

एक तरफा सोच

सब एहसास को

एक तरफ कर दिया था


सोचा किसी के भावनाओं को

एक रंग रूप देना है

सोचा इश्क़ से कौन आबाद हुआ है

मुझे कोरा कागज़ को

इश्क़ के परवान चढ़ा कर

सर पर शायर का ताज पहनना है।


देखी सहर में आज कल

खूब शायर घूमते इधर उधर

इश्क़ तो किताबों में छिपे बैठे हैं

मुझे माफ़ करना

दिल में रहने की ख़्वाब था ना?

में काली अक्षर को

तुम्हारे एहसासों की भेट चढ़ा दी

मुझे दुनिया सोचते थे

तुम्हारे लिए एक दुनिया बना दी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance