मुझे माफ़ करना
मुझे माफ़ करना
कुछ बे अदबी एहसास को
चिंगारी मिली थी
दिन ढल रात हुई
आसमान में कोई हात फैलाए
या कहूं चांद से सिफ़ारिश हुई
जब मेरे मन में शाम हुई।
चलो अब कुछ घुमाना नहीं
गोल मोल भाव नहीं
मुझे सीधी बात रखना था
पर कमबख्त यह दिल
एक तरफा सोच
सब एहसास को
एक तरफ कर दिया था
सोचा किसी के भावनाओं को
एक रंग रूप देना है
सोचा इश्क़ से कौन आबाद हुआ है
मुझे कोरा कागज़ को
इश्क़ के परवान चढ़ा कर
सर पर शायर का ताज पहनना है।
देखी सहर में आज कल
खूब शायर घूमते इधर उधर
इश्क़ तो किताबों में छिपे बैठे हैं
मुझे माफ़ करना
दिल में रहने की ख़्वाब था ना?
में काली अक्षर को
तुम्हारे एहसासों की भेट चढ़ा दी
मुझे दुनिया सोचते थे
तुम्हारे लिए एक दुनिया बना दी।