महसूस
महसूस
तुम्हे दुःख होता है ना ?
छांव नहीं मिलने से
पर छांव देने वाला
अहरह धूप में तड़पता
ना कभी किसी के राह तकता
किए हो कभी महसूस
उनके दर्द को ?
नहीं तुम्हे बस अपनी पड़ी है
तुम सुख के फल को ताकते हो
कभी कभी सूखी हुई
पेड़ पर पत्थर फेंकते हो
या फिर ताकते हो
सुख के फल आकर
तुम्हारे झोली में गिरे
पर गिरने से पहले
पकने से पहले
उसके तड़पन को
कभी महसूस किए हो ?
नहीं तुम्हें बस फल खाना है
कभी होगा तो मेहसूस करलेना
तुम्हारे खुशी से
कोई बेहद खुश
और दुःख में तुमसे ज्यादा
मर्माहत होता है
तुम भी थोड़ा किसी का
दुःख महसूस करो ?