कहती दर्द ओ ग़म की दास्तां ग़म की बस्ती अजीब बस्ती है , बहुत रुलाते भूख के आंसू पेट की ज्वाला नह... कहती दर्द ओ ग़म की दास्तां ग़म की बस्ती अजीब बस्ती है , बहुत रुलाते भूख के आं...
ज़ख़्म कितने गहरे थे, ये बात बता दी। ज़ख़्म कितने गहरे थे, ये बात बता दी।
मेरी बिंदिया से ये गुफ़्तगू कर रही है कि शायद उदास हूँ मैं। मेरी बिंदिया से ये गुफ़्तगू कर रही है कि शायद उदास हूँ मैं।
अजीब दास्तां हैं इस मानव जीवन की जेब खाली है पर ख्वाहिशें बेहिसाब हैं। अजीब दास्तां हैं इस मानव जीवन की जेब खाली है पर ख्वाहिशें बेहिसाब हैं।
जिंदगी एक सी कहाँ चलती है. जिंदगी एक सी कहाँ चलती है.
ऐसी क्या ख़ता हुई हमसे ऐ ख़ुदा! जो तू भी हमसे हुआ है ख़फ़ा। ऐसी क्या ख़ता हुई हमसे ऐ ख़ुदा! जो तू भी हमसे हुआ है ख़फ़ा।