कुछ ख्वाहिशें ऐसी भी... कुछ ख्वाहिशें ऐसी भी...
मुझे मनमानी करने दो अब ना कहना बुढ़ापे में शर्म कर लो। मुझे मनमानी करने दो अब ना कहना बुढ़ापे में शर्म कर लो।
अब कब इन ख्वाहिशों की उड़ान मुकम्मल होगी। अब कब इन ख्वाहिशों की उड़ान मुकम्मल होगी।
वह कुछ बोलते नहीं, दुनिया के तराज़ू में मुझे तौलते नहीं, केवल मेरी व्यथा सुनते हैं वह कुछ बोलते नहीं, दुनिया के तराज़ू में मुझे तौलते नहीं, केवल मेरी व्यथा सुनते ...
कुछ बातें दिल से निकाल.. कुछ बातें दिल से निकाल..
ख्वाबों ने क्या तोहफा दिया ख्वाबों ने क्या तोहफा दिया