घृणित नाटकीय मंच के पर्दों को हम उठाकर ही रहेंगे ! घृणित नाटकीय मंच के पर्दों को हम उठाकर ही रहेंगे !
बाँहें फैला के करता है स्वागत ये मेरा अपना शहर। बाँहें फैला के करता है स्वागत ये मेरा अपना शहर।
खबर ही नहीं हुई कब, खूबसूरत सी किताब बन गया। खबर ही नहीं हुई कब, खूबसूरत सी किताब बन गया।
अदम्य जोश से जवान देश को सँवारते। अदम्य जोश से जवान देश को सँवारते।
बना कर शब्दों का इन्द्रधनुष, आसमां पर छा सकती हूँ। बना कर शब्दों का इन्द्रधनुष, आसमां पर छा सकती हूँ।
इधर मौत है मेरी तो उधर जान की आस है। इधर मौत है मेरी तो उधर जान की आस है।