प्रण
प्रण
हम तो कुछ नया
सीखना चाहते हैं
विशाल क्षितिज के
कोने-कोने तक
पहुँचना चाहते हैं !
सीमित परिधिओं में
आखिर कब तक
उड़ान भरते रहेंगे ?
हम अपने पंखों के सहारे
सम्पूर्ण विश्व से
जुड़ते रहेंगे !
सन्देश विश्वबंधुत्व, प्रेम
का हम जगा के रहेंगे
घृणित नाटकीय मंच के पर्दों
को हम उठाकर ही रहेंगे !!
