घृणित नाटकीय मंच के पर्दों को हम उठाकर ही रहेंगे ! घृणित नाटकीय मंच के पर्दों को हम उठाकर ही रहेंगे !
हे राष्ट्रप्रहरी ! हे राष्ट्र सपूत ! नमन करूँ तुझको शत बार। हे राष्ट्रप्रहरी ! हे राष्ट्र सपूत ! नमन करूँ तुझको शत बार।
देश को उचित दिशा का विश्वास वसुधैव कुटुम्बकम का आधार है गणतंत्र। देश को उचित दिशा का विश्वास वसुधैव कुटुम्बकम का आधार है गणतंत्र।
जुड़ें परस्पर हाथ यदि तो समग्र जग में हो विकास। जुड़ें परस्पर हाथ यदि तो समग्र जग में हो विकास।
मुझमें भी नए परिंदों ने अपना आशियाना बसा लिया। मुझमें भी नए परिंदों ने अपना आशियाना बसा लिया।
ईश्वर अल्लाह एक ही जानो, जैसे होते धूप और छाँव । ईश्वर अल्लाह एक ही जानो, जैसे होते धूप और छाँव ।