तेरी छाँव के तले.....
तेरी छाँव के तले.....
बापू तू फिर याद आ गया
बरगद के पेड़ की तरह
बिन कुछ कहे अपना
कर्तव्य निभा गया
तेरी छाँव के तले
न धूप ने सताया
न बारिश ने भिगाया
सब कुछ सहा तुने
फिर भी हर पल मुस्कुराया
तू विशाल होकर भी
जमीन से जुड़ा रहा
अपनी शाखाओं को भी
जमीन से तूने मिला दिया
बरगद की छाँव की तरह
हर गम से तुने बचा लिया
मैं भी अब बरगद बन गया हूँ
मुझमें भी नए परिंदों ने अपना
आशियाना बसा लिया।
