एक और एक ग्यारह
एक और एक ग्यारह
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एक अकेला जग में जो
कर न सके कोई काम
रल-मिल कर करें सब तो
हो जाए सर्वथा आसान।
बूँद-बूँद कर भरे दरिया तो
रूप गहन वो धरे विशाल
कण-कण मिले राई का तो
बने पर्वत अडिग महान।
ताना एक-एक कर जुड़े तो
बने देखो सुन्दर परिधान
जर्रा-जर्रा मिले रेत का तो
धरे मरू रूप विकराल।
कांधा एक-एक मिले जब तो
मिलें नवीन नित सुझाव
जुड़ें परस्पर हाथ यदि तो
समग्र जग में हो विकास।