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Kiran Bala

Abstract

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Kiran Bala

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किताबें

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किसी कोने में पड़ी किताबें 

मानो सबसे कुछ पूछ रही हैं 

हो जाओ भले डिजीटल कितने

वजूद तुम्हारा बस मुझ से ही है 


इनमें समाहित वेद-पुराण

समस्त धर्मों का सारा ज्ञान

शूरवीरों की गाथा का गान 

इतिहास का सम्पूर्ण बखान


साहित्य का अतुल्य भंडार 

गणित के हैं सूत्र अपार

विधि-विधान का संज्ञान

विज्ञान का परिपूर्ण प्रसार


सुरों की सरगम का सार

ललित कलाओं का संसार 

प्रकृति का सौंदर्य कमाल

जीवन मूल्यों की भरमार


आज उपेक्षित सी किताबें 

मानो सबको झकझोर रही हैं 

हो जाओ भले डिजीटल कितने 

वजूद तुम्हारा बस मुझ से ही है 


     



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