"माँ की ममता"
"माँ की ममता"
माँ शब्द में ही नीहित है
ब्रह्मांड का सम्पूर्ण सार
करती भरण पोषण रक्षण
ममत्व के आंचल में सँभाल
रूप त्याग तप न्याय धर के
वो देती सदैव उत्तम संस्कार
नीति-विधि, आचार-विचार
का देती वो परिपूर्ण ज्ञान
माँ जग की प्रथम गुरु
देती समुचित ज्ञान
कंटक जीवन के चुन के
करती पथ को आसान
माँ की ममता जग में
समझना नहीं आसान
पूत कपूत हो भले
तजे ना प्रीत व्यवहार
माँ की लोरी में बसे
अनहद का है राग
भाव-विभोर गाती रहे
रात- रात भर जाग
