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Ram Chandar Azad

Abstract

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Ram Chandar Azad

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हे भारत के शेरे वीर

हे भारत के शेरे वीर

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जंग लग गए अस्त्र-शस्त्र में,

मंद पड़ गयी क्या शमसीर

कब तक मौन रहोगे प्रहरी,

 भारत अब हो रहा अधीर


जुल्मिस्तान के जुल्म सहोगे,

और रखोगे कब तक धीर

गर्व चूर कर दो अब उसका,

हे भारत के शेरे वीर


ना जाने इतराय रहा क्यूँ,

फुदक रहा मेंढ़क के जैसे

अब तो सबक सिखाना होगा,

ऐसे वैसे चाहे जैसे


कायरता से बाज न आता,

छिप-छिपकर वह शोर मचाता

मगर सामने आने से वह,

गीदड़ सम छिपता कतराता


उसे दिखा दो उसकी सूरत,

ऐ भारत के सिंह सपूत

कभी न फिर पीछे मुड़ देखे,

वह कायर और जुल्मी धूर्त।


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